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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एकल यात्री

खुद की खुशियों के संग खुद के संग
जीवन के सबसे प्रिय संगी के संग
आंसुओ के संग मुस्कानों के संग
डूबती थकी सी एक जिंदगी के संग
हैं घूम आए अबकी दुनियां हम खुद के संग.....

कभी डगमगाते कदमों से गंगा किनारे चलते
आंखो की तितलियों से हम पेड़ बाग तकते
कहीं दूर एक पहाड़ी पर गूंजती है कोयल
झर झर से बह रहे हैं झरने यहां वे अविरल
तन्हाइयो में खुद की खुद डूब आए हम संग
हैं घूम आए अबकी दुनियां हम खुद के संग.....

है संग तो हजारों है खुद में सब अकेले
कोई थक गया है सब से कोई राह अंत ढूंढे
कोई है भटक गया तो कोई खुद से खुद को ढूंढे
तन्हाइयो से भरकर कोई जीव रेल खींचे
कमियां रही सदा ये कोई ढूंढ न सका संग
हैं घूम आए अबकी दुनियां हम खुद के संग.....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

फ़िज़ा said

Bahut Umda Lazwaab

Uday Kumar Shukla replied

धन्यवाद जी आपका

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

है संग तो हजारों है खुद में सब अकेले कोई थक गया है सब से कोई राह अंत ढूंढे कोई है भटक गया तो कोई खुद से खुद को ढूंढे तन्हाइयो से भरकर कोई जीव रेल खींचे कमियां रही सदा ये कोई ढूंढ न सका संग हैं घूम आए अबकी दुनियां हम खुद के संग Bahut khoob kaha shriman

Uday Kumar Shukla replied

आभार जी आपका

Manju Sharma said

Bahut khoob 👌👌

Uday Kumar Shukla replied

धन्यवाद जी

Shyam Kumar said

Swam se achaa sathi or hamsafar hamdard koi nahi hota. Aapne bahut ache se bayan kiya .

Uday Kumar Shukla replied

धन्यवाद जी

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