नदियाँ की लहरें ,
हवा की रवानी,
उफनती औ गिरती,
हर लहर की निशानी,
है मदहोश करतीं,
सुबह शाम हर दिन,
आँखों में चमकी
ये नूर ए जवानी,
अल्हड़ बाँकपन है,
हर पल,है ख़ुशदिल,
जहाँ के सितम में,
हर पल जो नूरानी,
ना डर है,न झिझक ही,
न सितमग़र ये वादे ,
मदमस्त सीधी,
पल पल की कहानी,
बही जा रही,
बिन रुके बिन सहमें,
मन की नदी है,
है अब्र ए ईनामी....
----डॉ सुधा मिश्रा