आज मेरी बात हल्की फुल्की, ना कोई गम की बात दोस्तों..
दिन तो रौशन हंसी से मेरी, ख़्वाबों से उजली रात दोस्तो..।
मैं जो लेकर उम्मीद गया, उस पर वो जो खरे ना उतरे..
इसका मुझको मलाल नहीं, करूंगा फिर मुलाकात दोस्तों..
मिले थे मुझको लोग कई, उदासियों की ओढ़े चादर..
मैने उनको पूछे फिर, मजाकिया कई सवालात दोस्तों..।
बड़ी खुशियों के इंतज़ार में, छोटी खुशियों से बेरुखी क्यूं..
अपने मन मुआफ़िक तो, जाने कब होंगे सब के सब हालात दोस्तों..
गुज़र जाती है पास से दिन में, जाने कितनी सच्ची खुशियां..
जो मिला है उसी में खुश रहना है, ज़िंदगी की सच्ची सौगात दोस्तों..।
पवन कुमार "क्षितिज"