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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वो पहली मुलाकात

वो पहली मुलाकात हड़बड़ी वाली थी तुम्हारी,
जिसमें एक मोड़ पर अचानक टकरा गए थे तुम उनसे।
तुम भी थे जल्दबाजी में,
वो भी थे जल्दबाजी में,
पर नजरें तो मिल ही गई थी।
चेहरे पर था नकाब तुम्हारे,
पर तुम्हारी आंखें तो उनके दिल में बस ही गई थी। वाह! वो पहली मुलाकात भी
क्या मुलाकात थी.......🖋🖋

वो पहली मुलाकात दिल धड़काने वाली थी तुम्हारी,
जिसमें वो भी अजनबी थे तुम्हारे लिए और
तुम भी अजनबी थे उनके लिए,
पर उनकी वो मुस्कान,
मानो थे वो कोई तुम्हारे ही अपने।
काश तुम्हारे चेहरे पर नकाब ना होता,
तुम्हारी मुस्कान को भी वो देख लेता। वाह! वो पहली मुलाकात भी
क्या मुलाकात थी........🖋🖋

वो पहली मुलाकात मोहब्बत वाली थी तुम्हारी,
जिसमें चलते - चलते इश्क हो गया था तुम्हें उनसे
और इश्क हो गया था उन्हें भी तुमसे।
नजरें मिली, दिल भी मिल गए थे,
ना होते दोनो जल्दबाजी में तो
उसी वक्त एक हो गए होते। वाह! वो पहली मुलाकात भी
क्या मुलाकात थी........🖋🖋

~ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khubsurat likha Reena mam... Pahli mulakat bhi kya mulakat thi Bahut khoob

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏

फ़िज़ा said

Wo pahli mulakat bahut khoob.

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपा 🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

इश्क होने की घडी और वो टकरा गई संयोग ऐसा 'उपदेश' कि वो मन भा गई बहुत उम्दा भावनाए...👍🙏🏻

रीना कुमारी प्रजापत replied

Bahut bahut shukriya mahoday🙏👏

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