जिसके पास जो है उसका व्यवहार वैसा।
घमण्ड से मारा हुआ बेसुध अंधकार जैसा।।
कैसे समझाऊँ जिन्दगी में दुख-दर्द बहुत।
जिसको खुशी समझा वो गम-ख्वार जैसा।।
धड़कनो के बिना कैसे जी सकता है दिल।
हवा की जरूरत प्राणवायु के प्रसार जैसा।।
हकीकत में बेशक प्रेम तनाव बना 'उपदेश'।
उस तनाव में शामिल तडप हर बार जैसा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद