कविता छुपी है हर जगह,
देखिये सोचिये लिखीये !!
मिट्टी के टीलों में..
गाँव में शहरों में,
है ये नदियों में तो,
है पहाड़ों में ये !!
कविता मिलेगी हर जगह,
लोगों से मिलकर तौलिये !!
कविता तो उनकी अदाओं में है,
निगाहों में भी और सद़ाओं में है !!
उनके बिन एक पत्ता हिलेगा नहीं,
वफ़ाओं में भी तो ज़फाओं में है !!
कविता तिजोरी के जैसी है,
धैर्य से.. ध्यान से खोलिये !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है