वो पान की दुकान वो बरगद की छाँव
जहाँ हम मिले..
क्या याद है तुम्हें वो बारिश के छीटें
लब पे तेरे जो गिरे
सनसनाती हवाएँ वो ठंडी पुरवाई
बदन पे तेरे जो चुभे....
क्या याद है तुम्हें वो,
आहों पे आहें भर के मुझसे
मंगाई थी कुछ चटपटे..
हाँ.. वो तन भीगा, मन भीगा
आया जब दौड़ के पास तेरे...
ठंडक - सी ठंडक की बातों में आके,
लर्जे जब होठ तेरे
क्या याद है, वो गलियाँ और गलियों में हम दोनों
थे कुज्जे में हाथ धरे
वो साँसों की खुशबू बहकी निगाहें
मिले हमनशी को, नसीब कहीं
पैदल चलना, चलके फिसलना
फिर झुक जाना ऐसे, जैसे कोई शरारत करें
वो मौसम बेगाने, थोड़े दीवाने
प्यार से वो यूँ आहट भरे..
वो चाट वो ठेले,
वो बात झमेले
कहाँ है वो मेरे
कहाँ है वो तेरे
जो हम है अकेले
जो हम है अकेले....
-मनोज कुमार यकता


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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