माना कि उनसे ग़लती हो गई थी,
पर उन्होंने वो ग़लती जानबूझकर तो नहीं की थी।
जो भी हुआ था अनजाने में हुआ था,
जिसके लिए दुनियां उन्हें ताने कस रही थी।
उनकी एक ग़लती जिस पर उन्होंने कई दफ़ा
मांगी माफ़ी,
फिर भी नहीं ख़त्म हुई लोगों की नाराज़ी।
जिनको बातों का मतलब पता नहीं
वो भी हो गए उनके ख़िलाफ़, क्योंकि हुड़दंग मचाने में ही होते हैं लोग राज़ी।
आज मैंने उनकी थोड़ी तारीफ़ क्या कर दी,
बिना लफ़्ज़ों को पहचाने किसी ने हमारे
पवित्र रिश्ते को एक बहुत बड़ी गाली दे दी।
देखा भी नहीं, समझा भी नहीं,
और उस नादान ने दिल के रिश्तों की तौहीन कर दी।
अब जज़्बातों का, पवित्र रिश्तों का
होने लगा बुरा हश्र, अब ये नादान लोग बिना रिश्तों को पहचाने
चढ़ा देते हैं सूली पर।
आज नींद ना आई रात भर मुझे
यही सोचते हुए कि,
अब नहीं रही नादान लोगों की नज़र में
जज़्बातों और दिल के रिश्तों की कद्र।
क्या - क्या ना दिया उन्होंने हमको
ये मुझे बताने की ज़रूरत नहीं, उन्होंने तो की फ़क़त एक ग़लती।
आओ कभी उनकी राह में ,
हर लफ़्ज़ में दोहराओगे तुम ग़लती।
जब उस नादान ने की जज़्बातों की तौहीन,
तो दिल में तूफ़ान उठ आया है।
रूह काॅंप उठी ,
और दिल बग़ावत पर उतर आया है ।
"""""""""रीना कुमारी प्रजापत 🥀🥀
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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