पीर पत्थर की लकीर है
हर कोई सुख का फ़कीर है।।
एक बच्चे सी फुदकती जिंदगी
हो गई बस आजकल गंभीर है।।
आसमानी रंग की चूनर उड़ा
बिखरा रही धरती अबीर है ।।
प्यार की खुश्बू बड़ी अनमोल जो
सब दुखों की ये दवा अक्सीर है।।
मजहबों की उठ गई ऊंची दीवारें
है बड़ी नाजुक मगर शहतीर है।।
कोई महलों में कोई फुटपाथ पर
हर किसी की मातमी तकदीर है।।
अब गले मिलना बदलते वक्त में
शोषितो के हाथ में शमशीर है।।
रोज एक बस्ती में खूनी खेल होता
हर शहर और गांव की तस्वीर हैII
"दास"हर युग में गरीबों के गले
नित नई डाली गई जंजीर है ।।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







