जितना तुम बताते हो उतना तो बुरा नहीं हूँ,
माना अच्छा नहीं पर उतना भी बुरा नहीं हूँ।
अगर मेरी जगह खुद को रख कर देख लेते,
यकीनन तब कहते कि वाकई मैं बुरा नहीं हूँ।
तुम कहते हो बहुत अच्छे से जानता हूँ तुम्हें,
जानते तो सबसे यही कहते कि, बुरा नहीं हूँ।
माना मुझमें भी हैं ऐब मैं खरा सोना नहीं हूँ,
बुरे वक्त में न आऊँ काम इतना बुरा नहीं हूँ।
समझ की समझ होना बड़ी समझ की बात है,
नासमझ की समझ में आ जाता, बुरा नहीं हूँ।
🖊️सुभाष कुमार यादव