कापी राइट रचना
काश मिल जाए मुझे पता ठिकाना तेरा
आया है तेरी गलियों में ये दीवाना तेरा
ले लो मेरे सारे ये सोने चांदी के गहने
जाके कोई ये कह दो आया है दीवाना तेरा
न चाहत है ताज की न तमन्ना है राज की
झलक दिखा दे अब न दिल दुखा मेरा
ढ़ूंढ़ रहा हूं तुझे मैं इस गली से उस गली
कर दे ना मुझे पागल ये अफसाना तेरा
बेचैन है ये दिल झलक पाने को तेरी
आगे न निकल जाए कहीं ये दीवाना तेरा
तेरा दीदार ही मेरी है आखरी मंजिल
भटक जाए न गलियों में ये दीवाना तेरा
आ रही है मिलन की अब ये घङी आखरी
आ जाओ बुला रहा है ये दीवाना तेरा
छोङ कर ये दुनियां चला न जाए यादव
मिल न जाए कहीं रब से दीवाना तेरा
लेखराम यादव
(मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है