पानी में झलकती सूरज की किरणें पीछा कर रही है उस नाव का
जो अपनी मस्ती में आगे बढ़ती जा रही है
पानी में बहती किरणें उसे छूने को बेकरार है
पर वह नाव अपनी ही उलझनों में इस कदर डूबी है
कि उसके कानों को झिलमिलाती सूरज की किरणों की पुकार सुन ही नहीं रही है
जो उसे अपने प्रकाश से प्रकाशित करने आयी है
ऐसी ही हमारी ज़िन्दगी भी है
जो सकारात्मकता को छोड़ नकारात्मकता की ओर ही आकर्षित रहती है ..
वन्दना सूद