मकान बिक गए दुकान बिक गए
महंगाई की मर में सारे इंसान बिक गए
जमाखोरों की मजे मजे
और आवामों की सजे सेज
अच्छे अच्छे लोगों के होश फ़ख़्ता हैं
थाली में अब नून रोटी भी नहीं झांकता है
प्याज रोटी भी अब अमीरों की मेनू में
आ गया है।
टमाटर मिर्ची धनिया खीरा पुदीना
अब पुदीना छांटते हैं।
मध्यम वर्गीय तो अब पानी पीकर
सोते हैं।
इस सोंच में की खाए क्या बचाए क्या
सब दिन हीन हो रहें हैं
महंगाई के आग़ोश में सब अरमां समा रहें हैं।
नहीं कुछ हो सकता जब तक जनसंख्या ना
कंट्रोल होगी
तब तक ऐसे हीं देश में महंगाई की तांडव होगी....
तब तक ऐसे हीं देश में महंगाई की तांडव होगी...