"नवरात्रि नवरत्न स्तुति"
मंगलमय माँ का पावन पर्व,
भक्ति से गूँजे हर एक स्वर।
नवदुर्गा के नौ रत्न निराले,
करें भक्तों के जीवन उजाले।
शैलपुत्री प्रथम जगदम्बा,
साधक को दे शक्ति अम्बा।
ब्रह्मचारिणी तप की मूर्ति,
संकट हरें, ज्ञान की युक्ति।
चन्द्रघंटा रणघोष बजाए,
असुर दलन कर जगत बचाए।
कूष्माण्डा आदिशक्ति महान,
सृष्टि करे पल में आसान।
स्कन्दमाता सुख-शांति दायिनी,
भक्तों की पालनहार करुणामयी।
कात्यायनी वीरता की खान,
करें दुष्टों का सर्वनाश।
कालरात्रि क्रोध रूप धरें,
भक्तों की रक्षा सदा करें।
महागौरी शांति स्वरूपा,
निर्मल चित्त, जीवन अनुपमा।
सिद्धिदात्री नवमी रूप,
सारे जग को दें अनूप।
सिद्धि, बुद्धि, मोक्ष का दान,
माँ के चरणों में कल्याण।
भक्त झुकें श्रद्धा से प्यारे,
माँ का ध्यान करें मन-भारे।
नवरात्रि का यह पर्व महान,
नवरत्नों से सजता जहाँ।
~ अभिषेक मिश्रा