मैं नहीं भूल पाऊंगी उन मेरे अपनों को,
उनके साथ बिताए बचपन से जवानी तक के
लम्हों को।
पर कुछ लोग है जो मेरे दुश्मन बने हुए हैं,
जो मुझे उनसे दूर करने में लगे हुए हैं।
मैं भी उसी दौर से गुज़र रही हूॅं जिससे आप गुज़रे
थे कभी,
मैं भी उसी राह पर खड़ी हूॅं जिस पर आप खड़े
थे कभी।
फ़र्क बस इतना है,
कि आपको अपना प्यार भूलना पड़ रहा था
और मुझे तो अपनी हॅंसती खेलती
दुनियां भुलानी पड़ रही है
आपको सिर्फ़ एक इंसान को भूलना था,
मुझे तो मेरे सभी अपनों को भूलना था।
क्योंकि वो तो वो थी जिससे आप
परिणय करना चाहते थे,
पर मुझे जिसे भूलना था वो तो मेरे मां,पापा और
भय्या थे।
🌼 "रीना कुमारी प्रजापत"