Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

यह अत्यन्त ही सोचनीय विषय है - एक आत्मचिंतन-वेदव्यास मिश्र

मैं जो भी कहूँगा,
सच-सच ही कहूँगा !!
सच के सिवा,
और कुछ भी न कहूँगा !!

क्या यह कथन सचमुच,
सच्ची नीयत पर आधारित है..
यह अत्यन्त सोचनीय विषय है !!

अदालत और सदन के दीवारों से,

टकराते ये वो शपथ हैं !!
जो सिर्फ शपथ है या कुछ और,
यह अत्यन्त सोचनीय विषय है !!

क्या ऐसा कहने भर से...
युधिष्ठिर की आत्मा,
समा जाती है..या हरिश्चन्द्र की !!
यह अत्यन्त सोचनीय विषय है !!

काश शपथ सच्ची नीयत पर,
आधारित हो !!
सिर्फ बचाव के लिए या,
मात्र औपचारिकता नहीं !!
क्या सच में ऐसा हो पायेगा..
ये आज भी सोचनीय विषय है !!

अगर शपथ गलत नीयत से,
बोला जाये तो..
इसकी भी एक सज़ा होनी चाहिए क्या कोई सजा मुकर्रर भी होगी ??
ये अत्यन्त ही सोचनीय विषय है !!


हम जो शपथ लेते तो उसे निभाते भी,
ये कितना अच्छा होता न !!

न ही कोई पक्षपातपूर्ण रवैया होता राजनीति में..
या सभी न्याय के मंदिर में !!

अपने देश,समाज के प्रति,
शपथ लेकर आखिर मुकर क्यों जाते हैं हम,

ये अत्यन्त ही सोचनीय विषय है !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
 मैं जो भी कहूँगा      सच-सच ही कहूँगा !! सच के सिवा      और कुछ भी न कहूँगा !! क्या यह कथन सचमुच      सच्ची नीयत पर आधारित है.. यह अत्यन्त सोचनीय विषय है !! अदालत और सदन के दीवारों से      टकराते ये वो शपथ हैं !! जो सिर्फ शपथ है या कुछ और      यह अत्यन्त सोचनीय विषय है !! क्या ऐसा कहने भर से... युधिष्ठिर की आत्मा      समा जाती है..या हरिश्चन्द्र की !! यह अत्यन्त सोचनीय विषय है !! काश शपथ सच्ची नीयत पर      आधारित हो !! सिर्फ बचाव के लिए या      मात्र औपचारिकता नहीं !! क्या सच में ऐसा हो पायेगा.. ये आज भी सोचनीय विषय है !! अगर शपथ गलत नीयत से      बोला जाये तो.. इसकी भी एक सज़ा होनी चाहिए क्या कोई सजा मुकर्रर भी होगी ?? ये अत्यन्त ही सोचनीय विषय है !! हम जो शपथ लेते तो उसे निभाते भी      ये कितना अच्छा होता न !! न ही कोई पक्षपातपूर्ण रवैया होता राजनीति में.. या सभी न्याय के मंदिर में !! अपने देश     समाज के प्रति      शपथ लेकर आखिर मुकर क्यों जाते हैं हम      ये अत्यन्त ही सोचनीय विषय है 


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (14)

+

सुभाष कुमार यादव said

सुंदर रचना मिश्र सर जी। 👌👌🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Adhbhut wastav m Acharya Ji yeh Sochneey Vishay hai,, Sadar Pranam 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव जी, बहुत-बहुत आभार सहृदय 🙏💖💖🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, अब लग रहा है.. अपना घर,अपने लोगों का महत्व ही अलग है !! हृदयाशीष नमन 💖💖

कमलकांत घिरी said

सच में सर जी आपने एक अद्भुत विषय पर प्रकाश डाला है, यह सच में विचार करने योग्य विषय है, आपको सादर प्रणाम सर जी💐🙏

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत घिरी जी, प्यार और दुआओं भरी आशीष !! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया ने मुझमे एक नया जोश भर दिया है !! 💝💝

रीना कुमारी प्रजापत said

बिल्कुल सही कहा आपने

रीना कुमारी प्रजापत said

पेज न. 147 पर जो कविता है वो किसके लिए है, हक़ीक़त है या कल्पना है, मुझे तो किसी की हक़ीक़त ही लग रही है।पता नहीं क्यों? पर हद से ज़्यादा दिल को छू गई वो, book को अभी तीसरी बार पढ़ रही हूं पहले भी आपसे पूछने की सोचा था पर नहीं पूछा, कल शाम को फिर वो कविता पढ़ी तो मन किया कि एक बार पूछ ही लूं....🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Yeh Wali Kya Mam? वक़्त उस पर जुल्म ढ़ा रहा था, और वो पुराना दस्तूर निभा रहा था। ज़ालिम दुनिया मस्त थी...

रीना कुमारी प्रजापत said

Haa Ji ashok bhaiyya bilkul yahi. Isi ki baat kah rahi hu

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, आपकी गैसिंग सही है मैम..यह हकीक़त पर आधारित घटना है जिसे कविता का रूप दिया है मैंने !! घटना इस प्रकार है...हैदराबाद ट्रेनिंग के लिए वेनगंगा सुबह 4 बजे पकड़ने के लिए हम अपने होम प्लेस से लगभग 70कि.मी.दूर चाँपा स्टेशन के लाॅज में सपरिवार रूके थे !! शाम को एक होटल गये खाना खाने !! वहाँ एक चश्मा पहना लड़का ( देखने से ही बड़े घर का शिक्षित लग रहा था !! हमने उसे ऑर्डर लेने के लिए आवाज दिया !! ऑर्डर ले लिया फिर उसके बाद वह थोड़ी देर के बाद आया और अपनी जगह पर खड़ा हो गया !! हमने उससे पूछा..कितना टाइम लगेगा..उसने बताया..आपका ऑर्डर बोल दिया हूँ ..बनते ही ला रहा हूँ !! ताज्जुब उस समय उस होटल में हम लोग ही थे सपरिवार !! थोड़ी देर के बाद उसका मालिक आया और उसे अनाप-शनाप सुनाने लगा !! खाली खड़ा है..खाली है तो जाकर कुक को हेल्प कर ... राजा बनकर तनकर खड़ा है, साथ में गाली भी दिया मालिक ने !! हमने ऑब्जेक्शन भी किया कि आप गाली क्यों दे रहे हैं तो उसने कहा..ये लात खाने का काम कर रहा है ..गाली तो बहुत छोटी चीज है ...5 दिन हो गया..इसको अभी भी मेरी भाषा समझ नहीं आ रहा है !! थोड़ी देर के बाद वह लड़का ऑर्डर लेकर आया..देने के बाद अपने जगह पर खड़े हो गया !! वह रूआँसा लग रहा था ...मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने पूछ ही लिया कि आखिर बात क्या है ?? उसने मुस्कुराने का असफल प्रयास किया और कहा..कुछ भी नहीं !! मैंने कहा... आप पढ़े-लिखे लग रहे हो ..होटल में वेटर का काम ?? इस बार वह खुद को नहीं रोक पाया और रोते-रोते उसने बताया कि वह बी.टेक किया हुआ बेरोज़गार है.. दर-दर ठोकर खाने के बाद यहीं काम मिला है..जहाँ खाना और पैसा कम ..गाली ज्यादा मिलता है !! संस्कार उसके पुराने लग रहे थे..यानि इज्जत से बात कर रहा था..एक बेरोज़गार इन्जीनियर !! बाकी बात तो कविता में है ही !! सबसे बड़ी बात...मेरी ये खुशनसीबी है कि आप इस पुस्तक को तीसरी बार पढ़ रही हैं यानी कुछ तो बात है बुक में !! पूरी सत्यता और बेबाकी से लिखा है मैंने इस बुक को !! 100% खुली किताब..मेरे जैसी ..पूरी तरह आशियाना 💝💝 नमस्कार आपको 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, शुक्रिया भाई साहब ...जो आपने अपना कीमती समय निकालकर पेश ओर दिया है अपना जवाब आपने 🙏🙏 नतमस्तक आभार सहृदय 💝💝

कमलकांत घिरी said

इस सच्ची कहानी को सुनकर मेरा भी हृदय करुण भावों से भर गया सर जी 🙏 आपकी कविताएं अद्भुत हैं इस बात का पता आपकी किताब के इस दृष्टांत से बखूबी चल रहा है💐👌🙌✍️प्रणाम सर जी🙏

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत घिरी जी, मुझे अत्यन्त गर्व महसूस हो रहा है आप जैसे संवेदनशील पाठक वर्ग पर..जो भावनाओं के तह तक पहुँचते हैं !! बहुत-बहुत शुभाशीष नमन सहृदय अनुज श्री 💖💖

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


LIKHANTU DOT COM © 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन