तेरे चेहरे से जुल्फे हटी ही नहीं, तूने पर्दा किया था घनी रात का, तेरे चेहरे से ,,,,, हमने की थी बहुत कोशिशें पर मग़र, तेरे घर पर बसर का पता ही नहीं, तेरे चेहरे से,,, किससे शिकवा करू ये पता ही नहीं, देखते देखते मैं ठहर सा गया, जैसे मुझको किसी की ज़रूरत नहीं, तेरे चेहरे पर ,,, तुम हो क्या चीज़ तुमको पता ही नहीं, तेरी चाहत हैं मुझको ख़ुदा की कसम, तेरे चेहरे,,,