कहनी थी कुछ और, मगर कुछ और बात कह गए..
आंखों से अनजाने में, वो दिल के हालात कह गए..।
तेरे शहर में इन दिनों मिजाज़–ए–इश्क़ कही नहीं..
आए थे कुछ पराए लोग, और एहतियात कह गए..।
ज़िंदगी गुज़री दौर-ए-दश्त-ए-ग़म से, इस कदर कि..
हमें जो मिला उसी को, दिल के जज़्बात कह गए..।
कुछ बात थी मगर ज़ेहन ने जुबां को न इजाज़त दी..
कुछ सदियों ने बयां कर दिया, कुछ लम्हात कह गए..।
माना कि उनसे, कुछ ज़माना तो न बदलने पाएगा..
मगर शिकन है चेहरे पर, वो क्या बयानात कह गए..।
पवन कुमार "क्षितिज"


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







