लूट रहा मासूमों का अधिकार
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
ओ निर्दयी, तूने लूटा है, उन मासूमों का अधिकार,
जिनके पास न दौलत थी, न कोई और मददगार।
उनकी छोटी सी उम्मीदों पर, तूने फेरा है पानी,
तेरा यह पाप कभी न धोएगा, बह जाए चाहे जिंदगानी।
चुल्लू भर पानी भी तेरे लिए, अब तो विष का प्याला होगा,
उसमें डूबकर भी तेरा काला मन, कभी न पावन होगा।
तूने छीनी है उनकी रोटी, उनकी किताबों का ज्ञान,
तेरा यह अपराध कभी न पाएगा, कोई भी समाधान।
गरीबों के बच्चों की हर आह, तेरे सिंहासन को हिलाएगी,
तू मिट्टी में मिल जाएगा, कोई नामोनिशां न पाएगी।
तेरी सत्ता का नशा उतरेगा, जब पड़ेगा कर्मों का लेखा,
तू पछताएगा उस दिन, जब सब कुछ होगा बेरेखा।
चुल्लू भर पानी में डूब मरो, ओ बेईमान, शर्म करो,
उनकी बद्दुआ का तीर लगेगा, तुम कहीं भी छिपो डरो।