उसकी भोली शकल ने दिया मार
आँखे थी उसकी चाकू से भी तेज धार
ख़ाली नहीं जाता उसका एक भी वार
मुझे भी कभी हुआ था प्यार
जब तक ना देखू दिल को नहीं था चैन
ढूंढता था उसको हर गली हर लेन
तुम्हें भी तो कभी हुआ होगा प्यार
पर मेरे वाला कुछ अलग ही था यार
मै भी करना चाहता था इजहार
क्योंकी दिल था कहने को बेकरार
पर अचानक मेरा हौसला डगमगाया
जब दोस्त ने मुझे उसका नंबर दिखाया
दिल था रोया क्यों मुझको इतना तड़पाया
फिर कभी नहीं कर पाया ऐतबार
मुझे भी कभी हुआ था प्यार
उसके बाद डर ने मेरे दिल में घर बनाया
किसी लड़की से नज़र तक ना मिलाया
क्योंकी नज़रो का ही तो ह सारा खेल
जिसकी इनको नहीं ह कोई जेल
तुम मत बन जाना इसका शिकार
मुझे भी कभी हुआ था प्यार
✍️वि.पाल

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




