सवाल क्या है
क्या एक खुबसूरत शब्द है जिंदगी
शायद किसी के लिए हा तो किसी का ना
मैने टटोला इस शब्द को
इसकी गहराइयां भी खोजी
पर हर बार टटोलने पर
ये कही बिखरा तो कही सुलझा
और गहराई तो समझना आसान था ही नही
क्योंकि कई रंग मिले, इस जिंदगी के
कोई रंग अपनो का, कोई रंग सपनों का
कोई उम्मीदों का
तो कोई नई कल की नई खुबसूरती को देखती उन आंखो का,, जो जिंदगी में अपना कल देख रहे हैं
पर, हर तरफ सिर्फ रंग ही नही,,
बल्कि कही बेरंगी भी है ये जिंदगी
जहां कोई अपना नही, कोई सपना नही
खुशियों का तो नाता ही नहीं
पर आंसुओ से दिखती धुंधली सी खुशियों को पाने का एक दबा हुआ सपना है
कि जिसे पाने की ना उम्मीदी में भी,,
जाने कौनसी उम्मीद हैं
कि क्या पता कभी मिले इन धुंधली खुशियों को
साफ देखने का कोई चश्मा
जो बेरंग को रंग, उम्मीद को पंख
और अपनो का साथ दिखा जाए
यहां तक टटोली जिंदगी तो एक उम्मीद फिर भी दिखी
शायद बेरंग जिंदगी को
कुछ कोशिश से रंगना कुछ ही मुश्किल है
पर नामुमकिन तो नही
पर सिर्फ टटोलती जिंदगी तब भ्रम बन गई
जब इसकी गहराइयों में उतर खुद जिंदगी टटोलने
इस जिंदगी की, टूटी फूटी, हिचकोले खाती कस्ती पर बैठे
तब जाना कि जो रास्ता आंसुओ से सिर्फ धुंधला नजर आया,
वो तो खुद सबसे बड़ा झूठ था,,
पर डरे नहीं,,
झूठ देख सोचा शायद ये नजरे ही झूठी है
और अपनी नजरों को भी झूठा बना उतर गए ओर गहराइयों में
क्या हुआ अगर कस्ती हिचकोले खा रही तो
क्योंकि समय तो बस जिंदगी की कस्ती का बुरा आया है
पर अपने तो बुरे नही जहां डूबेगी कस्ती
एक सहारा होगा, जो मुझे खींच भवर से बाहर लायेगा
और ये सोच उतरने लगे गहराइयों को जानने
लेकिन पहला धक्का उस अपने ने ही मारा
जिंदगी की टूटी कस्ती को देख
तब जाना कि टूटी जिंदगी का तो कोई अपना नही
बस अपना तब तक है कोई
जब तक उस कस्ती में रंग भरे हो
जहां रंग गए, वहा अपनो के संग भी गए
इस तरह वो टूटी जिंदगी की कस्ती, कुछ ओर टूटी
लेकिन अभी उसे और गहराइयां देखनी थी
जाने क्या ही फितूर सवार था उस पर
जाने क्या सच्चाई देखनी थी उसने
अब सिर्फ सपना था, जो अपना था
जिसके पीछे अपनी कस्ती पहुंचाने में पुरी रफ्तार लगा दी,,
पर जिंदगी वाहा भी मात खा गई
क्योंकि सपने ने कीमत मांगी उस कस्ती को उसमें मिला देने की
लेकिन वो कस्ती सिर्फ एक जिंदगी से बनी होती तो शायद मिला भी देती खुदको
पर कस्ती तो कई सांसे थी जिनको मंजिल देनी थी, मौत नही,,
यहां जिम्मेदारियां थी और सपना जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने को कह रहा था
वो भी एक नही, हजारों जिम्मेदारियों से
बस इसी का बोझ डूबा गया वो कस्ती सपनो की भी,,
लेकिन फिर भी नही खोई हिम्मत जिंदगी की गहराइयों में ओर उतरने की
क्योंकि सुना था कि गहराइयों में उतर ही सुनहरे मोती खोजे जाते हैं
तो जिंदगी का मोती भी वही मिलेगा सोच उतरते रहे
हर दर्द हर आंसू हर कल को भूल गहराइयों में
और आखिर में वो सार मिल ही गया जिंदगी का
जो ढूंढना था,,
जो हकीकत था कोई भ्रम नही
कि ये जिंदगी तकलीफों में सिर्फ रुलाती है
ये पूरा सच है ही नही,,
ठीक है अगर लिखा है लकीरों में संघर्ष,,
तो इस संघर्ष को भी जियो
गहराइयों से सीखा है जिंदगी ने,,
कि कभी रोको मत खुदका संघर्ष
अगर बहुत गहराइयों में उतर
जिंदगी की घुटन दम घोटने लगे
तो पहला सपना खुली हवा में सांस लेने का बना लो
दो पल सांस रोक उस घुटन को खुदमें ही समेट
अपनी सांसों को थाम, ताजी हवा मिलने का हौसला दो
क्योंकि ये घुटन सिर्फ जिन्दगी को खा जाना चाहती है
लेकिन गहराइयों से सीखा है
कि ये घुटन एक बेहतरीन तोहफे तक जिंदगी को ले जाने की पहली सीढ़ी है
पर ये सीढ़ी भी हिचकोले खा रही है
जिसको संभालने वाला ना कोई पहले था ना अब है
अब जरूरत भी नहीं किसी के हाथ की
क्योंकि इन जिंदगी की गहराइयों ने सीखा दिया है
कि गहराइयों में उतरो ही तभी
जब यकीन खुदके संघर्ष पर हो
किसी अपने या किसी सपने पर नही
क्योंकि गहराइयों में घुटन है
और वो घुटन ही संघर्ष
जिसे चाहे मेहनत कह लो, तो भी वो दो नाम नही
जिंदगी ने अपनी गहराइयों में उतर यही सिखाया
कि ये जिंदगी भी समुद्र है
और रंग से भरी जिंदगी वो खूबसूरत कस्ती है
जो हर कोई चाहता है
लेकिन बेरंग जिंदगी वो है जिसे अपनी कस्ती को गहराइयों में उतारना ही होता है
लेकिन मुझे ये गहराइयां ही पसंद आई
क्योंकि उसने टूटी कस्ती को
जिंदगी की हकीकत से रूबरू कराया
कि किस तरह जिंदगी की उलझने
जब खुदकी जिंदगी को सच का आईना दिखा धिक्कारती है
तो जो जुनून बनकर जिंदगी, एक तूफान बन
हर घुटन आंसू दर्द और कुछ बेगाने अपनो और सपनो को धकेल दूर फेक
एक शांत और ढहरा हुआ कल, देती हैं
जो रंग से भरी चमचमाती नही
बल्कि एक शांत और खुद पर अभिमान करवाती जिंदगी से मिलवाती है
जो सवाल नही
बल्कि एक गहराइयों में उतर शांति से ढूंढा जवाब है
जो जवाब खुदके संघर्ष को मथ कर मिला है
जो आत्मविश्वास से लबरेज है
जो खुद में चमक और खुशी है
और यही असली जिंदगी है
जिसमे ना संघर्ष ने जिन्दगी को रोका
ना किसी चुनौती ने
और खुदको साबित कर दिया
कि कोई सवाल नही
बल्कि खुदकी पहचान बनाने का जवाब है जिंदगी
खुदकी जीत का जवाब है जिंदगी
क्योंकि जिंदगी खुद सवाल होते हुए भी
उसकी गहराइयों में छुपा जवाब है,, जिंदगी