मनाओ खुशियों के पर्व
अपनों और गैरों के संग
जीवन में भर दो रंग
अपने और सब में उमंग
हैं यह त्योवहारी तितलियां
इन्हें सबके बगिया में उड़ने दो।
घोल दो खुशी सब रंगों में
जीवन को रंगीन बनने दो।
सज़ी धजी लगी ये दुनियां
इसको दुल्हन सा सजने संवरने दो।
थोड़ी खुशियां तू खुद रक्खो
थोड़ी औरों पर उड़लने दो।
सड़कों गली मोहल्लों
नुक्कड़ चौक चौराहों पर
सोशितों वंचितों छोटे छोटे
बच्चें गरीब बेसहारा लोगों को
भी अपनी खुशी में शामिल होने दो।
सच्ची खुशी सिर्फ खुद में हीं नहीं
सभी जन मानस में घुलने दो।
है ये पर्व त्यौहार सबके लिए
इसे सीमित मत होने दो।
प्रभु के है हम सारे बंदे
इन्हें सामर्थ्य वंचित में ना बटने दो।
खुशियों की इन तितलियों को
सभी के आंगन में उड़ने दो।
इन खुशियों को सभी के
दामन में भरने दो...
इन खुशियों को सभी के
दामन में भरने दो...