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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आपको जचता नहीं

आज जो मैं कह रही हूं
वो आपको मंज़ूर नहीं,
पर जानती हूं कुछ वक्त बाद
आप भी वही कहेंगे।

अभी मैं कह रही हूं तो
आपको ग़लत लग रहा है,
कल उसी गलत को आप सही कहेंगे
ऐसा मुझे आभास हो रहा है।

जो मैं चाहती हूं आप भी कहीं ना कहीं
घुमा फिराकर वही चाहते हैं,
पर मैं कहूं तो आपको जचता नहीं।

इसलिए अब ख़ामोश रहती हूं,
क्योंकि मेरा कहा आपको पचता नहीं।

✍️ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

जो कह रही हो वो सही कह रही हो, आपको सुप्रभात सहित सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏

वन्दना सूद said

😊मौन ही सबसे बड़ी ताक़त है

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji 🙏🙏🙏

कमलकांत घिरी said

बहुत सही दीदी जी "पर मैं कहूं तो आपको जचता नहीं। इसलिए अब ख़ामोश रहती हूं, क्योंकि मेरा कहा आपको पचता नहीं।“ ये वाला और भी मस्त था😊

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी यही तो सार है...... धन्यवाद आपका

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