आज जो मैं कह रही हूं
वो आपको मंज़ूर नहीं,
पर जानती हूं कुछ वक्त बाद
आप भी वही कहेंगे।
अभी मैं कह रही हूं तो
आपको ग़लत लग रहा है,
कल उसी गलत को आप सही कहेंगे
ऐसा मुझे आभास हो रहा है।
जो मैं चाहती हूं आप भी कहीं ना कहीं
घुमा फिराकर वही चाहते हैं,
पर मैं कहूं तो आपको जचता नहीं।
इसलिए अब ख़ामोश रहती हूं,
क्योंकि मेरा कहा आपको पचता नहीं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत