सब नाज नखरे अब तो उठाए नहीं जायेंगे
इतने हसीं अंदाज़ मगर भुलाए नहीं जायेंगे
हाथों में खिली गुलाब की ताजी है पंखुड़ी
कांटो पे इसके हाथ पर लगाए नहीं जायेंगे
माना के जिन्दगी में हमसफऱ बड़ा जरुरी है
हर किसी को हाथ मगर थमाए नहीं जायेंगे
है चांदनी का रूप सब मुहब्बत की महफिले
साये में टूटे आईने मगर दिखाए नहीं जायेंगे
जब लो सुरों में जान शहद की खुशबू लब पे
तब गम के दास गीत मगर गाए नहीं जायेंगे