कापीराइट गजल
जब गले में हर मुसीबत मोल ली हमने
दूकान एक मोहब्बत की खोल ली हमने
काबू न रख सके हम अपनी जुबान पर
जब जुबां खोली मुसीबत मोल ली हमने
सत्ता के वास्ते हम यूं दर-दर भटक रहे
ये जाति धर्म की चादर अब ओढ़ ली हमने
अब हमने देश भर की पद यात्रा करके
गांठ जो उलझी हुई थी खोल ली हमने
झटके पे झटका दे रहे हैं ये फैमली के लोग
दवा टूटे रिश्ते जोङने की ये मोल ली हमने
गरीबी की जगह हमने गरीबों को हटाया
एक कुंजी सफलता की नई खोज ली हमने
वो खोल के बैठे हैं अब नफरतों के माल
खिङकी अदावत की नई यूं खोल ली हमने
वो भारत मां की जय कभी क्यूं बोलते नहीं
हर बार ये फजीहत क्यूं मोल ली हमने
क्या करें क्या ना करें इसी सोच में हैं हम
यादव उन की ताकत यूं तोल ली हमने
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




