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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मोहब्बत की दूकान

कापीराइट गजल

जब गले में हर मुसीबत मोल ली हमने
दूकान एक मोहब्बत की खोल ली हमने

काबू न रख सके हम अपनी जुबान पर
जब जुबां खोली मुसीबत मोल ली हमने

सत्ता के वास्ते हम यूं दर-दर भटक रहे
ये जाति धर्म की चादर अब ओढ़ ली हमने

अब हमने देश भर की पद यात्रा करके
गांठ जो उलझी हुई थी खोल ली हमने

झटके पे झटका दे रहे हैं ये फैमली के लोग
दवा टूटे रिश्ते जोङने की ये मोल ली हमने

गरीबी की जगह हमने गरीबों को हटाया
एक कुंजी सफलता की नई खोज ली हमने

वो खोल के बैठे हैं अब नफरतों के माल
खिङकी अदावत की नई यूं खोल ली हमने

वो भारत मां की जय कभी क्यूं बोलते नहीं
हर बार ये फजीहत क्यूं मोल ली हमने

क्या करें क्या ना करें इसी सोच में हैं हम
यादव उन की ताकत यूं तोल ली हमने

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Raman Pratap said

बहुत खूब क्या व्यंग किया है

Lekhram Yadav replied

Raman Pratap ji thanks with welcome. I heartedly felt your comment. It gives me fresh oxygen to move ahead.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah Yadav Sir utkrasht rachna utkrasht vyang...ye yatra konsi hai kuch kuch yaad aarha hai..Kamal ka likha hai..

Lekhram Yadav replied

बहुत शुक्रिया बङी मेहरबानी सर आप तो अन्तर्यामी हैं लिफाफे को देखकर ही मजबून भांप लेते हो। कमाल का हुनर है आपका। मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए।

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां

Lekhram Yadav replied

Good evening my dear sister thanks for such beautiful comment.

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