है मासूम दिल मेरा,
कभी इसको ग़म न देना !!
तुम रखना हिफाजत से,
कभी इसको सजा न देना !!
है दुनियादारी क्या,
इसको ख़बर नहीं !!
नफरत का यारा इसमें,
ज़रा भी असर नहीं !!
कभी टूट जाये ये तो,
सीने से लगा लेना !!
है माँ का लाड़ला बहोत,
बस प्यार जानता है ये !!
अब तुझपे किया भरोसा,
बस तुमको मानता है ये !!
बस तेरी है ये अमानत,
सुध इसकी लेते रहना !!
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वेदव्यास मिश्र की अनोखी कलम से..
दोस्तो,
आज आप सभी को बताते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि लगभग-लगभग तीन साल से लगातार जिस उपन्यास "नेवला" के लिए
व्यस्त रहा,वो अब प्रकाशित हो चुका है..
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