चालें चलकर धूर्त, खातों से कर रहे लूट।
धंधा है ठगी का, पहनते हैं सूट बूट।
दिमाग में भरी शैतानी, करते हैं फिर बेईमानी।
सरकारी चोगा ओड़कर, दिखाते हैं नादानी।
धर के कपटी भेष, दोगलापन निभा रहे।
आया सरकारी अनुदान,मिल बांटके खा रहे।
शुल्क के साथ,न जाने क्या-क्या खा रहे।
जांच पड़ताल कौन करे, मुखिया सभी को फोन करे।
बैठ लग्जरी कार में, होटल में मौज उड़ाए रहे।