तप में तपा हूँ, जला हूँ, जगा हूँ —
ज्वालाओं में मैं पला हूँ, बढ़ा हूँ।
गर्जन से गूँजे गगन की छाती,
शिव हूँ, शून्य से भी पार खड़ा हूँ!
चरणों से उठती ध्वनि भयंकर,
भृकुटि से फूटे वज्र प्रहर।
श्वासों में तांडव, नादों में ज्वाला,
शिव हूँ — मृत्यु में भी उजियाला!
त्रिनयन दमके, अंग जले,
भूतों की सेना हुंकार भरे!
साँसें मेरी ब्रह्म बुझे,
मैं वो हूँ जो 'अस्ति' कहे!
–
जब डमरु धड़के काल बजे,
साँसों में ब्रह्मांड सजे।
शब्द नहीं ये नाद शिवा का,
हर तुक में तांडव जागे।
ना ताल मिले ना लय रुके,
बस नाद शिवा का चीर फटे।
धरती काँपे, गगन डरे,
जैसे शिव की जिह्वा जले!
भुजबल प्रचंड, त्रिनेत्र विकल,
डमरु की टंकार महाकाल जले।
कपालमाल, भस्म विभूषित,
मृत्यु के भीतर अमरत्व पले।
घंटा बजे – “हहहह हा हा हा!”,
नयनों से अग्नि बहे धधधध!
"णा णा णी" बोले रुद्र ज्यों,
सब दिशा तांडव करे जलजल!
कण-कण बोले “भोलेनाथ!”,
प्रलय की ध्वनि, शिव की बात।
सृष्टि रचे, फिर भस्म करे,
जो बोले ‘मैं’, वो तुझमें मरे।
ना सुर रहे, ना शब्द बचे,
बस धा धा धा – शिव शेष बचे।
मौन भी बोले, गर्जन बने,
हर आत्मा रुद्रस्वर गाने लगे।
जय शिवशंकर तांडवधारी,
त्रिलोकीनाथ, अघोर सवारी!
जिसका नाद ब्रह्म सा भारी,
उसके चरणों में दुनिया सारी!
तत् ता ती था, शिवा का मंत्र,
धा धा धा धा – नाद तंत्र।
ररररररर – गूंज अनादि,
शिव नाद ही ब्रह्म आराधि!
- ललित दाधीच।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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