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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरा दिल थाम लो - सुप्रिया साहू

मेरा दिल थाम लो

कोई हो तो बचा लो, अपना बसेरा बना लो।
जिंदगी ने मिलाया तुमसे, मेरा दिल थाम लो।।

हो कोई बात दिल में, ज़रा हमें भी बता लो।
चुभने न दो उसे यूँ, ज़रा सा बोझ उतार लो।।

हमसे बात करने की, ज़रा अब आदत बना लो।
रूठना मना नहीं हैं हमसे, ज़रा जल्दी मान लो ।।

हो जब सवेरा तुम्हें देखकर हो, ये बात मान लो।
ढलते शाम में भी तुम, हमारा ही साथ मांग लो।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

हो जब सवेरा तुम्हें देखकर हो, ये बात मान लो।.... ढलते शाम में भी तुम, हमारा ही साथ मांग लो।। मनोभावनी रचना...सुप्रभात

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत आभार एवं धन्यवाद आदरणीय सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Lekhram Yadav said

हम तो कब के मान चुके हैं, क्या आप इस बात को मानेंगे, बहुत खूबसूरत रचना, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

Supriya sahu replied

हम भी मान चुके हैं सर जी😊, बहुत - बहुत आभार एवं धन्यवाद सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

श्रेयसी said

बहुत खूबसूरत रचना सुप्रिया जी 🙏🙏

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत आभार एवं धन्यवाद मैम 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

मान गए,मान गए, मान गए, सुप्रिया जी आपकी रचना का लोहा मान गए, खूबसूरत लिखा, वाह!

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत धन्यवाद सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत said

Ji thaam liya Supriya ji...😀

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया मैम 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass said

बहुत खूब

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत धन्यवाद दास सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Tulsi patel said

क्या खूब लिखा है आपने सुप्रिया जी हम तो आपके मुरीद बन गए हैं। आपसे मिलने की उत्सुकता बढ़ती जा रही है।🥰

Supriya sahu replied

धन्यवाद तुलसी जी🥰😊, समझो अब मिल ही लिए😍, भगवान एक दिन जरूर मिलाएंगे हम लोगों को🤗, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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