(लोरी)
मेरा राज दुलारा भैया
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मेरा राज दुलारा भैया सोएगा ।
मीठे-मीठे सपनों में अब खोएगा ।।
आँख बंद करते ही परियाँ आएँगी
उड़न-खटोले पर फौरन बैठाएँगी
स्वप्न लोक की सैर करा देंगी झट से
सारी दुनिया भी दिखला देंगी फट से
चिड़ियों के भी झुंड बहुत मिल जाएँगे
कौए मीठे स्वर में गीत सुनाएँगे
गोद उठा कर तितली वहाँ घुमाएगी
फूलों के झूले पर तुम्हें झुलाएगी
खेल-कूद कर जब गंदा हो जाएगा
साबुन खुद आ करके सब कुछ धोएगा।
मेरा राज दुलारा भैया सोएगा ।।
खेल-खिलौने रोज़ नए मिल जाएँगे
गुड्डे-गुड़िया भी सबसे बतियाएँगे
उड़ते-उड़ते बादल के संग जाएगा
आसमान में घूम-घाम कर आएगा
राज़ महल के सुख मिल जाएँगे सारे
अपने-अपने घर ले जाएँगे तारे
काजू पिस्ता किशमिश ख़ुद आ जाएँगे
सेब-संतरे दिनभर नाच दिखाएँगे
मनचाही हर चीज़ हमेशा पाएगा
राजा बाबू नहीं कभी भी रोएगा ।
मेरा राज दुलारा भैया सोएगा ।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'