यूं बात रखने की तमीज़ बस ढूंढते रह जाओगे
खास लखनवी तहजीब बस ढूंढ़ते रह जाओगे I
जिसने खा लिया हो ख़ुद मां के हाथों निवाला
स्वाद ऐसा फिर लजीज बस ढूंढते रह जाओगे।
बांध कर जो रख सके अब सारे रिश्ते ही अटूट
कारगर वो जादू ताबीज बस ढूंढते रह जाओगेI
दास जो घर छोड़कर परदेश जाकर बस गए हैं
बंद घर की वो दहलीज बस ढूंढते रह जाओगे।
बंद कमरों में कहाँसे आएगी हवा और चांदनी
शहर में वो गांव अजीज बस ढूंढते रह जाओगे।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




