सोचेंगे सोचकर बतायेंगे,
यूँ ही थोड़े न बातों में आजायेंगे,
वो जाने की धौंस देते हैं 'आद्र'
जाने दे जाएंगे तो चले जायेंगे,
उठकर जायेंगे तेरी महफ़िल से गर वो,
जायेंगे भी तो कहाँ जायेंगे,
कि हर किसी को सता चुके हैं पहले ही,
लौटकर शायद यहीं आएंगे।
----अशोक कुमार पचौरी