कापीराइट गजल
जब-जब मदर्स डे आता है
मुझे याद तुम्हारी, आती है
मेरे बचपन की, यादें सारी
मेरे, दिल पर, छा जाती है
प्यार से तेरा, गोद में लेना
वो धीरे से मुझे, सहलाना
झूल के तेरी बाहों में और
तेरे, आंचल में, छुप जाना
आ जाते हैं, ख्वाब सुहाने
जब नींद सुहानी, आती है
मेरे बचपन की, यादें सारी
मेरे, दिल पर, छा जाती हैं
मैं क्या मेरी ये, हस्ती क्या
बिन, तेरे क्या, जीवन मेरा
हैं तेरे संग ही दिन रात मेरे
है, तुझ से ही,आगाज मेरा
ये जीवन तेरे बिन, सूना है
तू इस दीपक की, बाती है
मेरे बचपन की, यादें सारी
मेरे, दिल पर, छा, जाती है
आज नमन है मां तुझ को
इस प्यारे पावन, मौके पर
हैं आपसे ही खुशियां मेरी
एहसान तेरा मेरे दिल पर
प्यार बसा, रग-रग में मेरी
मुझे, तेरी छवि, सुहाती है
मेरे बचपन की यादें सारी
मेरे, दिल पर, छा जाती हैं
तुझ से, ही है, जीवन मेरा
है, तुझ से ही, संसार मेरा
ये चमन तुम्हारा मुझ से है
यह जीवन है, उपहार मेरा
पूरे, करूं मैं, ख्वाब तुम्हारे
ये दिल में ख्वाब सजाती है
मेरे, बचपन की, यादें सारी
मेरे, दिल, पर छा, जाती हैं
मेरी खातिर तुमने न जाने
अब कितने कष्ट, उठाए हैं
मेरे हर गम और आंसू को
अपनी पलकों में छुपाए हैं
कभी भूल न पाएगें यादव
मुझे तेरी ही, याद आती है
- लेखराम यादव
(मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है