उनकी खूबसूरती उनके लहजे में है।
आंकने की मेरी नजर जलजले में है।।
मन कब मेरे काबू में रहा उन्हें पता।
उनका मन भी शायद खलबले में है।।
धूप निकली कई दिन के बाद आज।
चाँद और सितारे बेवजह अकेले में है।।
वो भला चुप रहने वालों में नही थी।
मगर हालात उनके घर के पाले में है।।
इश्क के दावों का क्या हुआ 'उपदेश'।
चकमा देने के फलसफे बुलबुले में है।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद