वो रिश्ते वो प्यार कहाँ है,
....वो मर्यादा वो सिंगार कहाँ है,
वो रोटी के हिसे चार कहां हैं,
वो रोटी के हिसे चार कहां हैं,
कहां गए वो दिन....जो दिन थे,
....वो लम्हे, वो साल कहां है,
....वो लम्हे, वो साल कहां है,
कवि राजू वर्मा....... द्वारा लिखित
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