कापीराइट गीत
ढूंढ़ रहा हूं ऐसी कविता, जो दिल को आबाद करे
काम आए जो तन्हाई में हर गम से आजाद करे
प्यार में हमने खाए धोखे वक्त अपना बर्बाद किया
डूब के गम के दरिया में कल अपना बर्बाद किया
कौन है ऐसा दुनियां में जो खुद को ही बर्बाद करे
काम आए जो -------------
अपने गम का छोर नहीं है कैसे तुम को दिखलाएं
कोई सुनने को तैयार नहीं हम कैसे तुम्हें बताएं
और नहीं कोई दुनियां में जो गम से आजाद करे
काम आए जो -------------
अपनों ने तोड़ा इस दिल को प्यार में धोखा देकर
मयखाने में दिन गुजरेंगे साकी का सहारा लेकर
यादव डूबे हैं आज नशे में ये तेरा कौन हिसाब करे
काम आए जो -------------
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है