आज बहुत दिनों बाद लाडली बिटिया की
चिट्ठी आयी है...
लगभग छः माह बीत गए।।
उसको नैनों से देखे हुए।।
पिछली बार विदाई के क्षण,
वह अपने नेत्रों में,
कई बार नीर लायी थी।।।
शायद ससुराल में रहते हुए,
मायके की सब की स्मृतियाँ,
उसको बहुत याद आयी थी।।।
तभी तो वह इतने आँसू ,
नयनों में लायी थी।।।
बाबुल की वह लाडली थी,,,
भाईयों के नेत्रों का उजला तारा,,,
अम्मा के लिए वह थी देवी जैसी!!!
सुख समृद्धि में बिल्कुल थी,,,
वह लक्ष्मी जैसी!!!
प्राण थी वह सारे घर के ही,
गौरैया थी वह आंगना की।।
उसकी चहचहाहट से घर में
खुशियाँ फैली थी।।
उसका अम्मा का गुस्सा दिलाना,
फिर दौड़कर पिता के पीछे,
आड़ में छिपकर बच जाना !!
भाईयों से लड़-झगड़ कर,
सहेलियों के संग गांव के मेले में जाना !!
उसकी अल्हड़ सी अठखेलियां,,,
विद्यालय में कक्षा की सहपाठियाँ,,,
यह सब ही उसे बहुत याद आता होगा!!
तभी तो नीर नैनों से उसके छलका होगा!!
ओह बताते बताते मैं भी ना जाने कहा खो गया था...
हा तो मैं कह रहा था...
आज बहुत दिनों बाद लाडली बिटिया की चिट्ठी आयी है...
संदेशें में तो सब ही कुशल मंगल था।
बिटिया के जीवन मे पति का घर महल था।।
सास ससुर के रूप में,
ईश्वर ने माता पिता दिए थे!!
देवर नंदे,भाई बहनों से मिले थे!!
संदेशें से लगता था...
बिटिया की ससुराल में,
बढ़ गयी है जिम्मेदारी!!
अल्हड़ से वो बातें उसकी,
खो गयीं हैं कहीं सारी!!
परिवार को संभालना,
अब उसका जिम्मा हो गया था।।
यह सुनकर पिता का सीना,
बड़ा चौड़ा हो गया था।।
तभी खड़ी अम्मा के नेत्रों से खुशी के नीर,,,
धारा बनकर निकले थें!!!
यह मार्मिक दृश्य देखकर घर मे,,,
सभी करुणा-प्रेम से रो दिए थें!!!
आज बहुत दिनों बाद लाडली बिटिया की चिट्ठी आयी है...
संदेशें में संदेशा था सब भाइयों के लिए!!!
ख्याल रखना माता पिता का उसकी खुशी के लिए!!!
पगली है वह जानती नहीं।।
बेटे तो बेटे होते है वो बेटी से नहीं।।
माता पिता की यादें उसे बहुत ही सताती हैं।।।
पर कभी-कभी क्षण भर की भाइयों की वो झूठी लड़ाइयां
उसे बहुत हँसाती हैं।।।
अंत में उसने सब कुशल मंगल है और प्राथना करती हूँ,
वहाँ भी सब कुशल मंगल होगा लिखा था।।
जो सब ने घर में बारी बारी,
ना जानें कितनी ही इसे बार पढ़ा था।।
यह सब तुमको बताकर मेरी भी आंख भर आयी है।।
आज बहुत दिनों बाद लाडली बिटिया की चिट्ठी आयी है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ