पहले दिन की बात रही महसूस हम अजब किए।
खुद पढ़ी या नही जबरदस्ती अपनी किताब दिए।।
तभी से ही अपना हमदर्द समझने लगा हूँ तुमको।
तुम्ही ने हकीकत में खुली आँखो में ख्वाब दिए।।
अब इशारे समझने लगा और तुम भी समझती।
कई साल साथ बिताया कभी नही जबाव दिए।।
कहाँ मिलते एक दूसरे को समझने वाले 'उपदेश'।
मगर बिछड कर चलना पडा कभी न अभाव दिए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




