कापीराइट गीत
ये कौन सी जगह है ये कहां आ गए हम
ये फलक है कौन सा जिस पे छा गए हम
चमक रही है रौशनी यहां घटाओं की तरह
महकी हुई है खशबू, यह हवाओं की तरह
है आसमां यह कैसा जिस पे छा गए हम
ये फलक है - -----------------------
ये पल हैं अनजाने, हैं कुछ लोग अजनबी
लगता है क्यूं ऐसा, कि हम मिलें हैं कहीं
लगता है जैसे अब मंजिल पे आ गए हम
ये फलक है - ------------------------
ऐसे सजी यह गलियां, मेला लगा हो जैसे
सोई हुई सी सारी, ये कलियां जगी हों जैसे
मेहमां की तरह, महफिल पे छा गए हम
ये फलक है - ------------------------
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है