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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ये कहां आ गए हम

कापीराइट गीत

ये कौन सी जगह है ये कहां आ गए हम
ये फलक है कौन सा जिस पे छा गए हम

चमक रही है रौशनी यहां घटाओं की तरह
महकी हुई है खशबू, यह हवाओं की तरह
है आसमां यह कैसा जिस पे छा गए हम
ये फलक है - -----------------------

ये पल हैं अनजाने, हैं कुछ लोग अजनबी
लगता है क्यूं ऐसा, कि हम मिलें हैं कहीं
लगता है जैसे अब मंजिल पे आ गए हम
ये फलक है - ------------------------

ऐसे सजी यह गलियां, मेला लगा हो जैसे
सोई हुई सी सारी, ये कलियां जगी हों जैसे
मेहमां की तरह, महफिल पे छा गए हम
ये फलक है - ------------------------

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Very nice song👌👏🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना।

वन्दना सूद said

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ 👏👏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार वन्दना जी

श्रेयसी said

लाजवाब 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात श्रेयसी जी, आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे काफी प्रभावित किया, आपको सादर प्रणाम।

कमलकांत घिरी said

चलते चलते ये कहां आ गए हम, ढूंढते ढूंढते आपको पा गए हम 😊 बहुत सुंदर प्रस्तुति सर जी 👌👏👏🙏प्रणाम🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात कमलकांत भाई, आपको इस तरह मिल कर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई, आपको हार्दिक प्रणाम।

Sanjay Srivastva said

वाह, शब्दों का खूबसूरत चयन लाजवाब प्रसंग 👌

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात एव॔ धन्यवाद सहित नमस्कार श्रीवास्तव जी।

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