प्रकृति का जागरण
शिवानी जैन एडवोकेटByss
सुबह प्रकृति के अद्भुत जागरण का गान,
फूलों की पंखुड़ियों पर बिखरी हुई मुस्कान।
ओस की बूंदों से भीगी हुई हर पत्ती,
जैसे प्रकृति ने पहनी हो सुंदरता की बत्ती।
ये मंद समीर, पेड़ों का धीरे से हिलना,
हर जीव में एक नई चेतना का मिलना।
मंदिरों में बजती आरती की मधुर ध्वनि,
जैसे कण-कण में हो ईश्वर की रमनी।
ये शांत और सुंदर पल मन को हरते हैं,
दिनभर की भागदौड़ से पहले ठहरते हैं।
सुबह की ये शांति सिखाती है जीना,
हर पल को महसूस करना, हर रस को पीना।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




