बैठा था मै अंधेरे मे रोशनी भी कहीं जगमगा रही थी।
बुला रही थी मुझे और वो मुस्कुरा रही थी।
बोली मुझसे रोशनी, बोली मुझसे रोशनी
क्यो है तुझे इस अंधेरे से इतना लगाव और इतना अपनापन
आजा अब रोशनी मे छोड़ भी दे अब ये अल्हड़पन।
बोला मै ,बोला मै कि चुभती है मुझे ये रोशनी
इसमे लोगो के नकाब उतर जाते है
अंधेरा ही अच्छा है ,अंधेरा ही अच्छा है
यहाँ कम से कम राज तो राज रह जाते है।
-राशिका ✍️✍️✍️