जिसने माफ़ किया, वो गुनहगार कैसे हो गई?
उसकी चुप्पी ही सबसे बड़ा वार कैसे हो गई?
जिसने हर चोट पे आँखें नहीं उठाई कभी,
वही औरत अब तेरे लिए ख़तरा दरकार कैसे हो गई?
जो आँसुओं से भीगती रही हर रात की तरह,
तेरी नज़रों में वो ही अब तलवार कैसे हो गई?
मैंने तेरे झूठ को भी सच बना लिया था,
अब मेरी सच्चाई तुझ पे भार कैसे हो गई?
तू तो माफ़ी भी इस तरह देता रहा —
जैसे रहमत हो, और मैं ख़ार कैसे हो गई?
तेरा हर झूठ था हक़, मेरा हर सच बग़ावत,
मेरी ही साँस तुझको ख़ुद पे उधार कैसे हो गई?
तू ज़ालिम सही, मगर तुझसे मोहब्बत की थी मैंने,
अब वो मोहब्बत ही तेरा इन्कार कैसे हो गई?
जिसने माफ़ किया — वो टूटी थी, मिट नहीं गई थी,
पर तू भूल गया — राख भी अंगार कैसे हो गई?

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




