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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

सदियां

ख्यालों के खेत में, उम्मीदों की फ़सल होने लगी..
उनकी ज़ानिब से भी अब, कुछ पहल होने लगी..।

मेरे तो जज़्बात, अब दिल में ही घर बनाने लगे हैं..
जबसे मेरी हर बात की, रद्द-ओ-बदल होने लगी..।

सूकूँ है दिल में, या बदली है वक़्त ने चाल इन दिनों..
सदियां देखते ही देखते, अब पल दो पल होने लगी..।

ज़माने की सलाह पर, अमल करते करते थक गया..
जो बातें दिल में थी, उनमें भी उनकी दखल होने लगी..।

भीड़ के हाथों में ये आसमां, क्यूं पत्थर देने लगा अब..
क्यों हर दिशा से अमन की रौशनी, ओझल होने लगी..।

ज़मीं का दामन दरख़्त के आंसुओं से भीगता ही रहा..
इस कदर कि सहरा की ज़मीं भी, दलदल होने लगी..।

अगर अपनी कमियों पर, निगाह डालते हैं तो फिर ये..
दुश्मन की सब चाल, कैसे हर दफ़ा सफल होने लगी..।

मैं वो सुखनवर तो नहीं कि, सब महफ़िल में याद करे हमको..
मगर जाने क्यूं आजकल, मेरी तो हर बात ही ग़ज़ल होने लगी..।

पवन कुमार "क्षितिज"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

सरिता पाठक said

बहुत खूब 👌सुन्दर रचना पवन जी सादर प्रणाम 🙏

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