कापीराइट गजल
अपने ख्वाबों को यूं ही दिल में सजाए रखना
दीप आशा के यूं ही तुम दिल में जलाए रखना
चलते ही रहना तुम तपती धूल भरी राहों में
हर आग जज्बात की दिल में तुम जलाए रखना
अगर मिले खुशी तुझको तो जश्न मनाना इसका
गमों की आग से खुद को तुम बचाए रखना
अपने हुनर से सब को तुम करते रहना रौशन
यूं हर शख्स को इस दिल में तुम बसाए रखना
किसी भी बात पर किसी का दिल दुखाना नहीं
मिठास बातों में अपनी यूं ही तुम बनाए रखना
डरके हारना नहीं इन मुश्किलों से कभी तुम
तुम जीत कर भी हार को यूं गले लगाए रखना
शाम ढ़ल जाए अगर तो तुम रूक जाना वहीं
दिल में ख्वाबों की महफिल तुम सजाए रखना
अपनी बातों पर यूं ही तुम डटे रहना यादव
यूं हर दिल में मोहब्बत को तुम बनाए रखना
- लेखराम यादव
(मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है