बंद सोने के पिंजरे मे से बोला रोता तोता हे मैना
ना रहना चाहूँ मै यहाँ ,नही है मुझे यहाँ रहना।
ना मिले मुझे एक पल भी यहाँ चैना
मिले यहाँ मुझे पकवान।
पर याद आए मुझे मेरे बच्चे वे नन्ही सी जान।
बोली मैना बुलंद रखना तुम हौसले
संग रहेंगे हम फिर अपने घोंसले।
निकलोगे एक दिन तुम यहाँ से ना छोड़ना कभी ये आस
सब ठीक होगा, जल्द ही समय आए वो काश।
देख तोता मैना के आसूँ बोल पड़ा राजा
खोल दो ये पिंजरा ना दो किसी बेजुबान को कभी कोई सजा।
-राशिका ✍️✍️✍️