वो पलभर आँसू में थे,
वो रुक ना सके,
वो पलकें ज़रा सी किनारे,
वो वहीं छुप ना सकें।
मैं मांगता हूं कि दरिया भी किनारे को देखे,
मैं मांगता हूं कि सबक का सफर अब सहन नहीं,
मैं जानता हूँ कि मेरी विडंबना कोई है नहीं,
मैं जानता हूं कि मेरे जानने का सफर भी तय नहीं,
ये यहां कोई वादा करता है,
ये यहां कोई भूल कर सकता है,
ये उसे याद है,
ये उसे क्यूँ याद नहीं,
हाँ खाली रहा मैं,
किताबें भारी भरी भरी है,
हाँ खामोश रहा मैं,
बातें बोलती हैं,
जो तुम रिश्ता निभाते हो,
जो तुम कहीं और रह जाते हो,
फिर क्या सोचना है मुझे,
फिर आंसुओ का तय समय,
फिर आंसुओं मे निखरना रहा,
फिर आंसुओ का बिखरना रहा।।
- ललित दाधीच। ।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




