अशोक जी अज़ीब हो गया।
अच्छा होता कि आप ना मिले होते,
ना ये बेचैनी होती,
अब आप तो भला दिल पे हाथ रख कर चले गए,
अब ये बेचैनी जिंदा है,
ये खामोशी जिंदा है,
ये निशानी जिंदा है,
ये आँसू जिंदा है,
ये सवाल जिंदा है,
ये काव्य के घर में,
हम समीक्षा भरा साथ,
ये बेचैन हो गया,
मेरा काव्य ही अजीब हो गया,
आप तो दो पल में दिल रख गुज़र गए,
और हमारे गुजारे की सीमा बढ़ा दी। ।
😢🙏🙏💔💔
अशोक जी शायद हम कोई बचपन के दोस्त नहीं थे, शायद हम बहुत अजनबी थे, मैं राजस्थान के टोंक से एक छोटे से गांव से और आप दिल्ली से, लेकीन हम दोनों की मुलाकात अमर उजाला से आपकी एक सलाह पर की मुझे likhantu.com par भी लिखना चाहिए, मैं भी 2 साल तक नहीं आया, पर एक दिन नियति ले आयी,
कविताओं को लिखा, आपकी और यहाँ के उम्दा कवि और कवित्रियों की समीक्षा पाकर मैं धन्य हुआ, सिर्फ आपकी उस सलाह से, लेकिन अब आप तो चले गए, मुझे पता आप तक ये संदेश नहीं जाएगा, लेकिन जो सम्मान आपके प्रति है जो रहेगा, मेरी मृत्यु तक, उस तक ये संदेश जरूर जाएगा, आपका आभार की आपने उम्दा व्यक्तित्व हमारे सामने रखा, धन्यवाद, आपका साथी..
- ललित दाधीच। ।💯💯🙏🤝

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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