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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

कोई किसी को कितना चाहे-ताज मोहम्मद

कोई किसी को कितना चाहे कि वह उसको भूल ना पाए।
क्यों रास्तों के फूल कहीं कभी किसी दरगाहों पर चढ़ ना पाए ।।1।।

मेरे गुजरे हुए वक्त में वह मेरा काफी अच्छा रफीक था।
फिर इतनी दूर क्यों गया वह कि चाहे भी तो मिल ना पाए।।2।।

या खुदा लबों पर मेरे इतनीे तो हंसी हमेशा बनाए रखना।
चाहके कोई मेरे दिल के जख्मों को गिने भी तो गिन ना पाए।।3।।

बहुत कोशिश की पुरानी चादर से खुद को पूरा ढकने की।
पर मेरे पैरहन मे थे इतने छेद कि छिपे भी तो छिप ना पाए।।4।

अरसे से भटक रहा हूं तेरे शहर में यहाँ-वहाँ बनके मुसाफिर।
पर मेरे कदमों को तेरे घर का पता जानें क्यों मिल ना पाए।।5।।

बहुत कम बोलता हूं अक्सर दुनिया के सामने आनें पर मैं।
डरता हूं राजे मोहब्बत हमारा तुम्हारा कहीं खुल ना जाए।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Ankush Gupta said

यहां सभी इश्क के मारे हैं और एक इश्क ही है जिसके आगे सब हारे हैं

ताज मोहम्मद replied

जी दुरस्त फरमाया आपने।

Vineet Garg said

Bahut khoob 🙏👏

ताज मोहम्मद replied

Thanks

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

हाय क्या ग़ज़ब का लिखना रहा

ताज मोहम्मद replied

बहुत बहुत शुक्रिया।

कमलकांत घिरी said

बेहतरीन रचना सर जी, दिल खुश हो गया👌👏👏🙌

ताज मोहम्मद replied

आपका ह्रदय से धन्यवाद भाई जी।

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