सदैव प्रश्न मुझसे पूछा जाता था,
एक प्रश्न आज मैं तुमसे पूछती हूँ,
क्या? यूँ ही जीवन बर्बाद करोगे,
मुझे पाने,कितनी फरियाद करोगे,
अब तो सच - सच बतला दो,
प्रियवर तुम कब तक याद करोगे।
मेरे बिना जीवन कैसे वहन करोगे,
एक साथी का कैसे चयन करोगे,
प्रेम का भाव सबसे नहीं जुड़ता,
कैसे अकेले जीवन निर्वहन करोगे,
अब तो सच - सच बतला दो,
प्रियवर तुम कब तक याद करोगे।
पूछा है प्रश्न तो मेरा उत्तर भी सुनो,
आत्म का एकात्म होना है प्रेम मानो,
साकार रूप में पाना, पाना थोड़ी है,
मीरा के प्रेम स्वरूप को पहचानो।
देन-लेन का व्यापार तो, न करूँगा,
सच्चा प्रेम है इंतज़ार, मैं करूँगा,
सुनो अब सच-सच बतलाता हूँ,
प्रिये! तुम्हें हमेशा मैं याद करूँगा।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




