कविता : मैं कवि नहीं....
मैं कोई बुद्धिजीवी
समझदार अभी नहीं हूं
मैं कुछ लिखता हूं
मगर मैं कवि नहीं हूं
मैं न कुछ लिखा
न कुछ पढ़ा हूं
खास में मैं एक
नंबर सड़ा हूं
मेरे में न बुद्धि विवेक
न विचार है
असल में मेरा सब
कुछ बेकार है
मैं कोई बुद्धिजीवी
समझदार अभी नहीं हूं
मैं कुछ लिखता हूं
मगर मैं कवि नहीं हूं
मुझ को काफी चीजों का
कुछ भी पता नहीं
मुझे तो ह्र्सो और
दीर्घ भी आता नहीं
मैं यहां थोड़ी
न खास हूं
मैं एक नंबर
बकवास हूं
मैं कोई बुद्धिजीवी
समझदार अभी नहीं हूं
मैं कुछ लिखता हूं
मगर मैं कवि नहीं हूं
न मेरी डिग्री न
मेरी मास्टर
हे मेरे दोस्तों मैं तो
एक बास्टर
न मेरी वैल्यू न
मेरी औकात है
बास मेरे अंदर
यही एक बात है
मैं कोई बुद्धिजीवी
समझदार अभी नहीं हूं
मैं कुछ लिखता हूं
मगर मैं कवि नहीं हूं
मैं कुछ लिखता हूं
मगर मैं कवि नहीं हूं.......
netra prasad gautam